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अभिनय की नई परिभाषा गढ़ती बिंदास बालन


हिंदी सिनेमा में मौजूदा दौर की अभिनेत्रियों के बीच अगर तुलना की जाय तो विद्या बालन उनमें सबसे अलग और अलहदा कही जा सकती हैं. खूबसरत, बिंदास और संजीदा अभिनय की बेहतरीन बानगी. उन्हें परदे पर देखना अच्छा लगता है, क्योंकि वो अभिनय नहीं करती अपने किरदार में उतर जाती हैं. विद्या बालन खूबसूरत हैं और हिंदी सिनेमा के ट्रेंड के तहत किसी अभिनेत्री के कामयाब होने के लिए इतना काफी है. लेकिन ये ट्रेंड विद्या बालन पर लागू नहीं होता. बाकी अभिनेत्रियों की तरह बालन को रूपहले परदे की खूबसूरत गुड़िया बनने से परहेज है. और इसीलिए वो तभी किसी फिल्म में काम करने को राजी होती हैं, जब उन्हें किरदार में दम दिखाई पड़ता है. अगर रोल दमदार नहीं है तो वो बड़े से बड़े बैनर को ठुकराने में देर नहीं लगाती. विद्या ने विशाल भारद्वाज की फिल्म डायन इसीलिए छोड़ दी क्योंकि उनके मुताबिक फिल्म में उनके करने के लिए कुछ नहीं था.
डर्टी पिक्चर की कामयाबी ने विद्या बालन के करियर में एक और नगीना जड़ दिया है. वो अपनी समकालीन अभिनेत्रियों से कोसों आगे दिखाई देती नजर आ रही हैं. अभिनय में भी और बोल्डनेस में भी. जिस रोल को करने में बड़ी-बड़ी और नामचीन अभिनेत्रियों को पसीने छूटने लगते हैं, अपनी इमेज बिगड़ने का डर सताने लगता है. विद्या बालन वैसे रोल बेहद सहजता से निभा जाती हैं. साउथ की हॉट और सेक्स बम के रूप में मशहूर एक्ट्रेस सिल्क स्मिता की जिंदगी पर आधारित डर्टी पिक्चर इसका हालिया उदाहरण है. इस फिल्म में विद्या बालन ने काफी बोल्ड सींस दिए हैं. इतने कि फिल्म के रिलीज से पहले और बाद में भी उनके बेजोड़ अभिनय की चर्चा कम और बोल्डनेस की चर्चा ज्यादा हुई. ये बात सिर्फ डर्टी पिक्चर के साथ ही लागू नहीं होती, बल्कि सच तो ये है कि विद्या बालन तकरीबन एक दशक के अपने करियर में बेहतरीन अभिनय के लिए चर्चा में तो रही हीं, अपनी फिल्मों में दिए बोल्ड सींस के लिए भी वो कम चर्चित नहीं रही हैं. अपनी पहली ही फिल्म परिणीता में सैफ अली खान के साथ बेडसीन देकर उन्होंने खलबली मचा दी थी. बाद की फिल्मों में भी उनका ये बिंदास तेवर जारी रहा. कुछ साल पहले आई अभिषेक चौबे की इश्किया में भी अरशद वारसी और नसीरूद्दीन शाह के साथ उनके अंतरंग सींस ने काफी सुर्खियां बटोरी.
हालांकि अपनी फिल्मों में बोल्ड सींस को लेकर विद्या बालन का खुद का मानना है कि वो फिल्में बोल्डनेस के लिए नहीं, दमदार रोल के लिए करती हैं. उनकी फिल्में अश्लील नहीं होतीं, रोल की डिमांड के मुताबिक उन्हें बोल्ड होना पड़ता है. इश्किया के निर्देशक अभिषेक चौबे भी कहते हैं कि ‘विद्या रोल में जान डालने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं’. परिणिता हो, इश्किया या डर्टी पिक्चर इन फिल्मों में विद्या बालन द्वारा निभाया किरदार इसकी पुष्टि भी करता है. इसके अलावा पा, नो वन किल्ड जेसिका, भुल भुलैया जैसी फिल्मों में निखर कर आया उनका सुच्चा अभिनय भी ये प्रमाणित करता है कि बिंदास बालन को किसी एक सांचे में बांधकर पारिभाषित करना नामुमकिन है. वाकई विद्या बालन की फिल्में उनके दिए बोल्ड सींस के लिए नहीं, उनके उम्दा और काबिले तारीफ अभिनय के लिए याद करने लायक हैं.
डर्टी पिक्चर के बाद विद्या बालन का नाम अब सफलता की गारंटी भी बन चला है. गौरतलब है कि नसीरूद्दीन शाह, तुषार कपूर और इमरान हाशमी जैसे तीन तीन अभिनितेओं के होने के बावजूद डर्टी पिक्चर की चर्चा सबसे ज्यादा विद्या बालन को लेकर ही हुई. रिलीज होने के बाद भी दर्शक विद्या को देखने के लिए ही सिनेमा हॉल में उमड़े. इश्किया के साथ भी यही हुआ था. नसीरूद्दीन शाह और अरशद वारसी के होने के बावजूद फिल्म के हिट होने का क्रेडिट सबसे ज्यादा विद्या बालन के ही हिस्से में आया. यानी हिंदी सिनेमा में जहां नायिकाओं के हिस्से सुंदर दिखने और नायक का मन बहलाने के अलावा कोई और काम नहीं होता, विद्या अपने कंधों पर फिल्म को हिट कराने का भार सफलता से उठाती दिखाई दे रही हैं.
विद्या बालन ने अपने दम पर अपनी नई पहचान गढ़ी है. उन्होंने सिनेमाई अभिनेत्री को नए सिरे से संवारा सजाया है, उसे ग्लैमर डाल के खोल से बाहर निकाला है. वो अभिनय की परंपराओं को तोड़ने में यकीन रखती हैं. ऐसे में नए दौर के चर्चित फिल्मकार अनुराग कश्यप जब यह कहते हैं कि ‘विद्या बालन दूसरों को रास्ता दिखा रही हैं. हमें उनकी जरूरत है’, तो ये कथन अतिशयोक्ति भरा नहीं लगता. परिणिता से डर्टी पिक्चर तक, विद्या बालन के अभिनय के सफर को देखकर उम्मीद बंधती है कि आनेवाली फिल्मों में भी उनके अभिनय के कई शेड्स देखने को मिलेंगे. और हां हिंदी सिनेमा की कुछ और परंपराए भी जरूर टूटेंगी, इसकी भी उम्मीद बंधती है.

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