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Showing posts from July, 2010

ऑक्टोपस पॉल... आई हेट यू...!

‘ऑक्टोपस पॉल... आई हेट यू...! दुनिया के सबसे रोमांचक खेल के सबसे रोमांचक मैच का सारा रोमांच तुमने खत्म कर दिया...!’ ...वैसे तो किसी बेजुबान जानवर को नापसंद करने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन इंसानी फितरत ने इस आठ पैरों वाले जानवर ऑक्टोपस का ऐसा इस्तेमाल किया है, कि वर्ल्ड कप फुटबॉल के फाइनल में मैच रेफरी की मैच खत्म होने की घोषणा करती व्हीसिल जैसे ही बजी, मुंह से यही शब्द निकले... एक्स्ट्रा टाइम के आखिरी क्षणों में किए गए गोल की वजह से स्पेन ने बाजी जीत ली थी... वो फुटबॉल की दुनिया का नया बादशाह बन गया था... लेकिन इस जीत के नायक स्पेन के खिलाड़ी नहीं बने... और न ही कोच, जिन्होने बड़ी मेहनत से अपनी टीम को तराशा था... बल्कि इस जीत का और 2010 के इस पूरे फुटबॉल वर्ल्ड कप का हीरो घोषित हुआ आठ पैरों वाला जानवर ऑक्टोपस पॉल, जिसकी भविष्यवाणी सच साबित हुई... ऑक्टोपस पॉल और उसकी भविष्यवाणियां मीडिया की सबसे बड़ी सुर्खियां रही... खेल से बढ़कर... खिलाड़ियों से बढ़कर... हालांकि ऐसा नहीं था कि स्पेन और नीदरलैंड के बीच हुए मुकाबले में रोमांच और जुनून की कोई कमी थी... मैच कांटे का था... दोनों टीमें बरा...

धोनी की शादी और मीडिया का तमाशा

अक्सर दूसरों को चर्चा में रखनेवाला मीडिया इस हफ्ते खुद सुर्खियों में छाया रहा... और इसकी वजह बनी धोनी की आनन फानन में हुई सगाई और शादी... एक ओर पूरा विपक्ष महंगाई के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का मोर्चा खोले हुए था, तो दूसरी ओर महंगाई और हड़ताल के बीच पिसती पब्लिक अपने नसीब को कोस रही थी... लेकिन इस सबसे बेपरवाह सरोकारों का दंभ भरने वाला मीडिया, धोनी किस घोड़ी पर चढ़े... क्या पहना और क्या खाया... इसे जानने-बताने में मशगूल था... ऐसे में जब जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े किए तो ताजुब्ब कैसा... शरद यादव ने पत्रकारों से बड़े तल्ख लहजे में सवाल किया था कि वो बताएं कि देश के लिए बड़ा मुद्दा क्या है... महंगाई या फिर धोनी की शादी... और मीडिया के इस बदलते चाल चरित्र के पक्ष में लाख दलीले देने वाला भी ये नहीं कह सकता कि शरद यादव की नाराजगी जायज नहीं थी... धोनी की शादी की कवरेज को लेकर जिस तरह मीडिया में हड़कंप मचा हुआ था... वो मीडिया के असली चेहरे को बयान करने के लिए काफी था... यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि धोनी ने अपनी शादी और सगाई के बारे में न तो मीडिया को कोई खबर ...

सियासत की पिच पर बोल्ड होता क्रिकेट

सुगबुगाहट है कि भारत-पाक के क्रिकेट रिश्ते फिर बहाल हो सकते हैं... आईसीसी के अध्यक्ष बनने के बाद इधर शरद पवार ने तो ये संकेत दिए ही हैं... उधर भारत पाक के विदेश सचिवों की वार्ता के बाद रिश्तों में गर्माहट लाने के लिए सरकार भी क्रिकेट डिप्लोमेसी अपनाने के मूड में है... और हो भी क्यों नहीं आखिर दोनों देशों के अवाम के लिए क्रिकेट को लेकर दीवानगी जुनून के हद तक है... भारत-पाक के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के लिए ये अच्छी खबर है... लेकिन शंकाएं भी कम नहीं है... और इसके कई वाजिब कारण भी हैं... खेल को खेल ही रहने दो... कोई नाम न दो... प्यार को प्यार ही रहने दो की तर्ज पर कहा जा सकता है कि क्रिकेट को भी खेल ही रहने देना चाहिए... लेकिन हिंदुस्तान-पाकिस्तान की राजनीति ने क्रिकेट को भी सियासत का हिस्सा बना दिया... नतीजा ये कि दोनों देशों के राजनेता क्रिकेट के बहाने अपने विरोधियों को चित करने की गुगली फेंकते रहे और भारत-पाक क्रिकेट संबंध सियासत और खेल के बीच पेंडुलम की तरह झूलता रहा... राजनीति खेल नहीं है, लेकिन भारत में खेल भी राजनीति का एक अहम हिस्सा है... खासकर क्रिकेट... वो भी भारत-पाक...