Skip to main content

धोनी की शादी और मीडिया का तमाशा


अक्सर दूसरों को चर्चा में रखनेवाला मीडिया इस हफ्ते खुद सुर्खियों में छाया रहा... और इसकी वजह बनी धोनी की आनन फानन में हुई सगाई और शादी... एक ओर पूरा विपक्ष महंगाई के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का मोर्चा खोले हुए था, तो दूसरी ओर महंगाई और हड़ताल के बीच पिसती पब्लिक अपने नसीब को कोस रही थी... लेकिन इस सबसे बेपरवाह सरोकारों का दंभ भरने वाला मीडिया, धोनी किस घोड़ी पर चढ़े... क्या पहना और क्या खाया... इसे जानने-बताने में मशगूल था... ऐसे में जब जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े किए तो ताजुब्ब कैसा... शरद यादव ने पत्रकारों से बड़े तल्ख लहजे में सवाल किया था कि वो बताएं कि देश के लिए बड़ा मुद्दा क्या है... महंगाई या फिर धोनी की शादी... और मीडिया के इस बदलते चाल चरित्र के पक्ष में लाख दलीले देने वाला भी ये नहीं कह सकता कि शरद यादव की नाराजगी जायज नहीं थी... धोनी की शादी की कवरेज को लेकर जिस तरह मीडिया में हड़कंप मचा हुआ था... वो मीडिया के असली चेहरे को बयान करने के लिए काफी था...
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि धोनी ने अपनी शादी और सगाई के बारे में न तो मीडिया को कोई खबर दी थी और न ही उसे निमंत्रित किया था... बावजूद इसके मीडिया को खबर लग ही गई... और फिर शुरु हुआ सगाई, शादी और सनसनी का नया खेल... ब्रेकिंग, एक्सक्लूसिव की पट्टियों के साथ मीडिया ने धोनी की शादी और सगाई को जमकर भूनाने की कोशिश की... जबकि उसके पास इसके विजुअल तक नहीं थे... धोनी की शादी की कवरेज में युद्धस्तर पर भिड़ी मीडिया के लिए मामला बेगानी शादी में अब्दुला दीवाना वाला नहीं था... अब्दुला के जबरिया किसी की निजी जिंदगी में दखलअंदाजी का था...
वैसे धोनी की शादी में मीडिया की ये दखलअंदाजी का कोई पहला मामला नहीं है... लोकतंत्र का ये चौथा स्तंभ सेलीब्रटीज की जिंदगी में ताक झांक और उनकी बखिए उधड़ने का कोई मौका नहीं चूकता... और अगर मौका नहीं मिलता तो हद से आगे जाकर नए शिगुफे तक क्रिएट कर देता है... अभिषेक-ऐश्वर्या की शादी से लेकर अभी हाल ही में संपन्न हुए सानिया शोएब की शादी में भी मीडिया की ये कारस्तानी खूब देखने को मिली... जब तक दोनों की शादी नहीं हुई थी मीडिया ने न जाने कितने किस्से गढ़ डाले... यही नहीं धोनी की शादी से कुछ दिन पहले तक धोनी की असिन से अफेयर की खबरें भी मीडिया में आम थी... उससे पहले दीपिका पादुकोण से भी धोनी की नजदीकियों की खूब चर्चा थी... इसमें मीडिया ने युवराज को भी खूब लपेटा... यहां तक की युवराज और धोनी के संबंधों में दरार दिखाई पड़ने लगी...
सेलीब्रटीज की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती है... लोग अपने चहेतों की जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं... और मीडिया इन्ही तर्कों के आधार पर इनकी जिंदगी में दखलअंदाजी को जायज भी ठहराता है... लेकिन ये दखलअंदाजी पागलपन की हद छूने लगे तो इसे कहां तक और कैसे वाजिब माना जा सकता है... सरोकारों की राग अलापनेवाला, लेकिन सरोकारों से दूर होता मीडिया इन हदों को ही छूने में लगा है... जिसे किसी भी तरह से जायज तो नहीं ही ठहराया जा सकता...
वैसे यहां ये भी एक हकीकत ही है कि मीडिया भले जन सरोकारों की बात करे उसके सरोकार अब बदल चुके हैं... और वो मिशन की जगह अब बिजनेस की शक्ल अख्तियार कर चुका है... ऐसा बिजनेस जिसका मकसद किसी भी तरह केवल मुनाफा कमाना है... लेकिन इस मकसद को हासिल करने के चक्कर में मीडिया क्या क्या करने पर उतारु है, उसे इस पर भी गौर फरमाना होगा... नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब मुद्दों से हटकर मुनाफे की ओर भागता मीडिया सिर्फ एक गंदे धंधे में तब्दील होकर रह जाएगा...

Comments

वो दिन दूर नहीं जब मुद्दों से हटकर मुनाफे की ओर भागता मीडिया सिर्फ एक गंदे धंधे में तब्दील होकर रह जाएगा..
सहमत !!

Popular posts from this blog

आमिर, पीपली लाइव और किसान...

पीपली लाइव हिट हो गई... आमिर खान की पिछली फिल्मों की तरह ही पीपली लाइव भी रिलीज से पहले ही इतनी सुर्खियां बटोर ले गई की हिट हो गई... आमिर खान अपनी फिल्मों की मार्केटिंग का फंडा खूब जानते हैं... बाजार की फिलॉसफी कहती है कि प्रोडक्ट नहीं प्रोडक्ट का विज्ञापन मायने रखता है... आमिर खान बाजार के इसी फार्मूले पर चले और कामयाब रहे... महज तीन करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म के प्रचार पर उन्होने सात करोड़ की भारी भरकम रकम खर्च की... और फिर भी फायदे में हैं... रिलीज से पहले ही पीपली लाइव कई करोड़ की कमाई कर चुकी है, जो यकीनन आगे और बढ़ेगी ही... जाहिर है आम जनता को खून का आंसू रुलाने वाली महंगाई डायन का असर आमिर खान ने अपनी फिल्म पर नहीं पड़ने दिया... पीपली लाइव वाकई लीक से हटकर बनी एक संजीदा फिल्म है... और यकीनन ये फिल्म आमिर खान के कद को और ऊंचा ही करेगी... लेकिन सवाल है कि ये फिल्म उन किसानों का कितना भला करेगी, जो कर्ज के बोझ तले भूखमरी से निजात के लिए खुदकुशी करने पर मजबूर हो जाते हैं... इसे शायद बाजार का ही दबाव कहें या मार्केटिंग का नुस्खा कि फिल्म की कहानी में भूखमरी के शिकार किसानों ...

बनारस… जिंदगी और जिंदादिली का शहर

(बनारस न मेरी जन्मभूमि है और न ही कर्मभूमि... फिर भी ये शहर मुझे अपना लगता है... अपनी लगती है इसकी आबो हवा और पूरी मस्ती के साथ छलकती यहां की जिंदगी... टुकड़ों-टुकड़ों में कई बार इस शहर में आया हूं मैं... और जितनी बार आया हूं... कुछ और अधिक इसे अपने दिल में बसा कर लौटा हूं... तभी तो दूर रहने के बावजूद दिल के बेहद करीब है ये शहर... मुझे लगता है कि आज की इस व्यक्तिगत महात्वाकांक्षाओं वाले इस दौर में, जहां पैसा ज्यादा मायने रखने लगा है, जिंदगी कम... इस शहर से हमें सीखने की जरुरत है...इस बार इसी शहर के बारे में...) साहित्य में मानवीय संवेदनाओं और अनुभूतियों के नौ रस माने गये हैं... लेकिन इसके अलावा भी एक रस और है, जिसे साहित्य के पुरोधा पकड़ने से चूक गये... लेकिन जिसे लोक ने आत्मसात कर लिया... वह है बनारस... जीवन का दसवां रस... जिंदगी की जिंदादिली का रस... जिसमें साहित्य के सारे रस समाहित होकर जिंदगी को नया अर्थ देते हैं... जिंदगी को मस्ती और फक्कड़पन के साथ जीने का अर्थ... कमियों और दुख में भी जिंदगी के सुख को तलाश लेने का अर्थ़... बहुत पुराना है बनारस का इतिहास... संभवतः सभ्यता के वि...

पाकिस्तान में बैन बॉलीवुड-1

फिल्मों की खबरों और आलेख के लिए देखें-  http://www.filmivilmi.com/                                                                https://www.facebook.com/filmivilmi/                                पाकिस्तान में बैन बॉलीवुड-1 दो दर्जन से ज्यादा बॉलीवुड फिल्मों पर बैन लगा चुका है पाकिस्तान साल के दो महीने में तीन बॉलीवुड फिल्में पाकिस्तान में बैन दुनिया और सिनेमा के ग्लोबल होने के बाद बॉलीवुड भी हिंदुस्तान की सरहद से बाहर निकला और अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के साथ उसका रिश्ता अजीबोगरीब रहा है. क्योंकि एक तरफ जहां बॉलीवुड फिल्मों को जहां पूरी दुनिया में प्यार मिल रहा है और वो हर जगह अपना परचम लहरा रही हैं, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उन्हें बैन करने में लगा है. हालिया रिलीज अय्यारी से लेकर ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त...