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सतरंगी संसार के जून अंक का संपादकीय

सिनेमा में होली: बिसर गई होली, बिला गए रंग

होली लोक का त्यौहार है और सिनेमा लोक का माध्यम. लेकिन जबसे हिंदुस्तान ने नव उदारीकरण के घोड़े पर सवार होकर कुलांचे भरना शुरू किया और सिनेमा लोकल से ग्लोबल होने लगा, होली गायब होने लगी. वैसे ही जैसे छद्म आर्थिक विकास के नाम पर क्रिएट किए गए गुडी-गुडी माहौल में लोक और लोक जीवन की हलचलें दर किनार होने लगी. अब हिंदी सिनेमा में होली के रंग नहीं दिखते. लोक के इस माध्यम ने लोक के इस महापर्व को भुला दिया है. सिनेमा से होली बिसर गई है. होली के रंग बिला गए हैं. होली प्रेम, मस्ती और उल्लास का त्यौहार है. इसका रंग कभी हमारी फिल्मों में जमकर बरसता था. फिल्मों में होली के दृश्य और गीत आम थे. दर्शकों को भी रंग खेलने का फिल्मी अंदाज खूब रास आता था. फिल्मों में होली की मस्ती दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींच लाती थी तो होली के गीत उन्हें इस लोकपर्व को मनाने का सिनेमाई अंदाज दे जाते थे. फिल्मकार भी कभी कहानी को आगे बढ़ाने के नाम पर तो कभी किसी और बहाने से होली के दृश्य और गीत अपनी फिल्मों में डालने के लिए उत्सुक रहते थे. बात अगर फिल्मों में होली के यादगार गीतों और दृश्यों की करें तो सबसे पहले 1944 में आ...